Category: नर्मदा की लहरों से

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पानी में

पानी में ******* शीतलता है ज्वाला भी है पानी में संजीवनी है हलाहल भी पानी में गंगा रेवा सागर की भी संस्कृतियाँ है पानी में कमला भी है रंभा भी है पानी में वीणा ध्वनि अनुगूँज शंख की पानी में धन्वंतरि की औषधसिध्दि पानी में दूध सरीखी फेन उठाती कामधेनु...

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कवि की खोज में भटकती कविता

कवि की खोज में भटकती कविता ********************** आश्वस्त होना चाहती कि मुझे — कुछ दूर ही सही जिंदगी के पास तो ले चलोगे कवि आश्वस्त होना चाहती कि मुझे — गलत करने -कहने के लिए विवश तो नहीं करोगे तुम आश्वस्त होना चाहती कि मुझे — किसी दरबार की भोग्या...

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रहने लायक है दुनिया

रहने लायक है दुनिया अभी इतनी खराब नहीं हुई दुनिया कि रहा ही नहीं जाए इस पर ऐसा कभी होगा भी नहीं अभी तो — झाडुएँ बनाने और बुहारने वालों को हर मोर्चे पर तैनात करने की घडी़ है धूल धक्कड़ उछालने वाले हाथों में वह दम नहीं कि इसी...

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गाँव मेरा सिरहना है

गाँव मेरा सिरहना है ***************** छन्नू दादा बताते रहे गाँव के हाल देर तक और लौटते हुए छोड़ गये फर्श पर पगथलियों के निशान जहाँ उभरने लगे खेत भरने लगी कमरों में फसलों की गंध धीरे धीरे कि तभी आ लेटा गेंवडे़ वाला महुआ मेरे पास और सुनाता रहा ढेर...

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गूंगे पन की कसमसाहट

गूंगे पन की कसमसाहट ********************* अग्नि ने कोई शब्द नही रचा न जल ने न वायु ने और पुष्प कभी बोलते नही आकाश ने कोई भाषा नहीं रची न नक्षत्रों ने न पृथ्वी ने और क्षितिज कभी मुँह खोलते नहीं किन्तु कर्म के अंतर्नाद से सदैव ही अपनी संपूर्णता में...

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शान है पानी

शान है पानी *********** बिलाशक —- प्यासे का प्राण है पानी चमक है धरती की चेहरों का नूर भी बिलाशक —- थाली की दमक है पानी गमक है रोटी की चौके की चमक भी बिलाशक —- आदमी की शान है पानी आन है जीवन की चेतना की तरंग भी —-...

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बे मौसम बरसात

बे मौसम बरसात *************** नदी की धार के नीचे चमकती बालू जितनी सुहानी लगती उतनी ही बुरी लगती घरों में घुसती रेत चूल्हे या अलाव की आग जितनी सुहानी लगती उतनी ही बुरी लगती गाँव तक आती दावानल पिकासो की गुएर्निका स्पेन के बाहर भी जितनी सुहानी लगती उतनी ही...