प्रेम -1

प्रेम -1
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नहीं होती कोई गली
पगडण्डी या कि सड़क
तो भी आऊँगा
मुक्ताकाश पर
रचते हुए इन्द्रधनुष ।
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह ” तुम पूरी पृथ्वी हो कविता ” से उद्धृत )

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