प्रेम -4

प्रेम -4
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जब नहीं होती पास
तो होती एक कविता
ठीक तुम्हारी तरह
होने पर होती तुम
एक कविता
कविता की तरह ।
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह ” तुम पूरी पृथ्वी हो कविता ” से उद्धृत )

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