जिनसे भी करता प्यार

जिनसे भी करता प्यार
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जिनसे भी करता प्यार
याद नही रहती
जन्मतिथि
याद ही नहीं रहती
रुचि -अरुचि
अच्छाई -बुराई उनकी
जिनसे भी करता प्यार
नहीं खिंचा पाता फोटुएँ
उनके साथ
पौंधों को सूना कर
नहीं करता उनसे
प्यार का इज़हार फूलों से
जिनसे भी करता प्यार
कर ही नहीं पाता
सिवाय प्यार के कुछ और !!
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह ” प्रणय का अनहद ” से उद्धृत )