प्रणय का अनहद
प्रणय का अनहद *************** लिख देना चाहता एक कविता अपनी कलम से बदन पर तुम्हारे उतार देना चाहता मन में सभी इन्द्रधनुष अपने और भर देना चाहता प्रणय का अनहद रोम -रोम में तुम्हारे ! ! (श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह “प्रणय का अनहद “से उद्धृत ) Dr....