भूल जाने की याद में

भूल जाने की याद में
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जब से भूलने का कहा
तुम्हें भूलने की कोशिश में लगा रहता
सपनों से भी कहता कि वे
भूल जाने को आया करें
भूल जाने की याद में जागता मन
यही यही करता उस पेड़ की तरह
जो बारिश में बार -बार मुँह पोंछता
बार -बार भींगता रहता है ।
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह “ प्रणय का अनहद ” से उद्धृत )