शान है पानी

शान है पानी
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बिलाशक —-
प्यासे का प्राण है पानी
चमक है धरती की
चेहरों का नूर भी
बिलाशक —-
थाली की दमक है पानी
गमक है रोटी की
चौके की चमक भी
बिलाशक —-
आदमी की शान है पानी
आन है जीवन की
चेतना की तरंग भी —-
बिलाशक – – -!!!
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह “नर्मदा की लहरों से ” उद्धृत )

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