सूरज

सूरज
******
मैंने आज सूरज को
बदलिययों से
छेड़छाड़ करते देखा
मैंने आज सूरज को
इन्द्रधनुष रचते देखा
मैंने आज फिर से जाना
कि सूरज के पास
धूप ही नहीं
सात रंग भी हैं
मेरा दोस्त अब
थकेगा नहीं कभ्भी – – -!!
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह ” तुम पूरी पृथ्वी हो कविता ” से उद्धृत )

You may also like...

Leave a Reply