उगती सुबह का गीत
by
Dr. Vinita Raghuvanshi
·
Published
· Updated
भोर भयी,अलसाये स्वप्न सब बिसार दे
छितराये बालों को फिर से सम्हाल ले
देख तेरे द्वारे पे ज्योति पुंज आये हैं !
बीती है अन्ध निशा
पुलकित है दिशा -दिशा
मलया ने गंध मली
महकी हैं गली -गली
बगिया में सौरभ ने ताजगी बिछाई है
फूलों ने नये -नये छन्द अब झराये हैं !!
चिडियों ने गीत गढे़
सूरज ने जाल मढे़
अम्बर से रात छंटी
धरती माँ जाग उठी
गीता के माधव की बज रही बांसुरी
कर्मयोग घर -घर के आँगन पे छाये हैं ! !
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के गीत संग्रह ” अँजुरी भर घाम “से उद्धृत )
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