ओ, सदियों से
सोई घाटियों!
तुम्हारे ऊपर
पत्थरों की
स्याह इबारतों में जो लिखा है
उसे एकाध बार पढ़ तो लो!
कर लो
चाहे जितनी उपेक्षा
किन्तु ये
तुम्हारी ही आवाज की
ठोस शब्दाकृतियाँ हैं
यों ही पड़े -पड़े
पीठ में नासूर हो गये होंगे
एक बार करवट तो लो
इस करवट का
एक बड़ा अर्थ होगा यारों
लो, जल्दी करवट लो -ओ पठारों!!