Tagged: कविता

0

यहाँ जमीन पर – पहाड़ों के बीच

यहाँ जमीन पर कविता संग्रह – पहाड़ों के बीच (Pahadon Ke Beech) रचनाकार– श्री प्रेमशंकर रघुवंशी. ओ, सदियों से सोई घाटियों! तुम्हारे ऊपर पत्थरों की स्याह इबारतों में जो लिखा है उसे एकाध बार पढ़ तो लो! कर लो चाहे जितनी उपेक्षा किन्तु ये तुम्हारी ही आवाज की ठोस शब्दाकृतियाँ...

0

पिता – पहाड़ों के बीच

पिता कविता संग्रह – पहाड़ों के बीच (Pahadon Ke Beech) रचनाकार– श्री प्रेमशंकर रघुवंशी. चाहे जितना सर्द गर्म हो मौसम पिता भोर के पहले उठ आते नहा धोकर रोज रोज नहलाते घाटी से उगते सूरज को —-चमचमाते कलश से मुझे पिता का कलश हमेशा हमेशा सूरज से ज्यादा चमकदार लगता...

0

देखा, बिना नाम के तुम्हें

देखा, बिना नाम के तुम्हें देखा, बिना नाम के तुम्हें तो, सही दिखायी दीं तुम। खुद को भी इसी तरह देखा तो सही -सही देख लिया खुद को । अब, बिना किसी नाम के मिले हम जैसे कि नदी, नदी से मिलकर नदी होती है और सागर से उसकी खारी...