प्रेम -4
प्रेम -4 ******* जब नहीं होती पास तो होती एक कविता ठीक तुम्हारी तरह होने पर होती तुम एक कविता कविता की तरह । (श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह ” तुम पूरी पृथ्वी हो कविता ” से उद्धृत ) Dr. Vinita Raghuvanshipremshankarraghuvanshi.in/