हँसने के लिए

हँसने के लिए
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हँसने के लिए
ढेर सारी चीजें नही चाहिए
कुछ बेफिक्री ,कुछ उमंग
कुछ आनंद
और छाती भर आक्सीजन
काफी है
आक्सीजन ः
जो हरे भरे पेडों से जन्म लेकर
पानी की आत्मा बनती
और पानी
जो कण कण का जीवन होकर
प्यार की चमक बनता
हँसने के लिए
इससे अधिक कुछ भी नही चाहिए
किसी भी वक्त ! !
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह ” प्रणय के अनहद ” से उद्धृत )

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