जीवन

जीवन ****** तमाम पंखुरियाँ झर जाने के बाद सुगंध का अहसास फिर भी रहेगा घर-घर , वन -वन झर रहा गुलाब -सा जीवन ।। (श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के गीत संग्रह ” मुक्ति के शंख ” से उद्धृत ) Dr. Vinita Raghuvanshipremshankarraghuvanshi.in/