मुक्ति के शंख

१९९८ में प्रकाशित मुक्ति के शंख प्रेमशंकर रघुवंशी का दूसरा नवगीत संग्रह है। ८१ गीतों के इस संग्रह के प्रकाशक हैं परिमल प्रकाशन, १७ एम.आई.जी. बाघम्बरी आवास योजना, अल्लापुर, इलाहाबाद-२११००६, इसमें कुल १०४ पृष्ठ हैं और इसका मूल्य है- १०० रुपये।

इस संग्रह के दो भाग हैं। पहले भाग का शीर्षक है- ऐसा क्यों होता है और इसमें १९७१ से १९८० तक के गीत हैं। दूसरे भाग का शीर्षक है- जाल जब भी फेंकते मछुए और इसमें १९८१ से १९९० तक लिखे गये गीतों को सम्मिलित किया गया है।

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