इच्छा शक्ति

इच्छा शक्ति
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वे जिस चीज को
भी देखते
वही बनना चाहते
जबकि
पेड़ के पास पहुँचकर
पेड़
नदी के पास पहुँचकर
नदी
खेत के पास पहुँचकर
फसल
चिड़िया के पास पहुँचकर
चिड़िया
और आदमी के पास पहुँचकर
आदमी नहीं बन सके
वे कुछ भी नहीं
बन सके
कुछ भी बनने की इच्छा शक्ति
उनके पास कभी रही ही नहीं।
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह “मँँजती धुलती पतीली “से उद्धृत)

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