हर जगह अब भी

हर जगह अब भी
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गाँव में
परिवार से जाना जाता
कस्बे में तहसील से
शहर में
परगने से
इलाकों में प्रदेश से
परदेश में
भारत से जाना जाता
द्वीपों में
एशिया महाद्वीप से
कहने को तो
विश्व मानव के
नाम से भी जाना जाता
लेकिन हर जगह अब भी
मेरी जाति ही पूछी जाती
तब मुझे
बहुत तेजी से
अपने गाँव की याद आती ! !
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह “ पकी फसल के बीच ” से उद्धृत )

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