Category: पकी फसल के बीच

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हर जगह अब भी

हर जगह अब भी *************** गाँव में परिवार से जाना जाता कस्बे में तहसील से शहर में परगने से इलाकों में प्रदेश से परदेश में भारत से जाना जाता द्वीपों में एशिया महाद्वीप से कहने को तो विश्व मानव के नाम से भी जाना जाता लेकिन हर जगह अब भी...

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हर जगह अब भी

हर जगह अब भी *************** गाँव में परिवार से जाना जाता कस्बे में तहसील से शहर में परगने से इलाकों में प्रदेश से परदेश में भारत से जाना जाता द्वीपों में एशिया महाद्वीप से कहने को तो विश्व मानव के नाम से भी जाना जाता लेकिन हर जगह अब भी...

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भरी पूरी सृष्टि

भरी पूरी सृष्टि *********** मुझसे अकेले मिलते वक्त भी अकेले नहीं होते एक पूरे परिवेश के साथ मिलते हो तुम बातें करते तो लगता — कि झर रहे हों पुष्प आश्वस्ति के शब्द शब्द अनुराग की अर्थलय में डूबे होते हैं तुम्हारे और भाव ऐसे — मानों फलों में पकते...

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तवा

तवा ***** चूल्हे पर चढ़ते ही चमक उठती घर भर की आँखें तब मेरी तपस्वी देह से उठने लगती सौंधी बयार चित्तियाँ पडी़ रोटियों की फैल जाती पास पडो़स मुहल्ले तक चौके की गमक जो नाक के जरिये जीभ पर मीठा स्वाद रचती आँतों तक लार लार समा जाती खिल...

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पिता की डायरी

पिता की डायरी ************** माँ ने जतन से रखी है पिता की डायरी चाहे जब एकान्त में फेरती उस पर हाथ ठीक उसी तरह जैसे कि —- आखरी वक्त तक फेरती रही थी पिता की देह पर मेरी जाँघ पर सिर रखे उस दिन मानों एक एक साँस का हिसाब...