Category: अंजुरी भर घाम

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बौराया प्यार दो

बौराया प्यार दो ************** बासंती बेला में बौराया प्यार दो –। चाहे दो पल को ही मौसम का ज्वार दो ।। रोक लो मुझे तनिक अमुवा की छाँव में बुलबुल की बस्ती में कोयल के गाँव में मौसम से मेरा तन -मन सिंगार दो । बोर दो मुझे तनिक बौराई...

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दो पल ही बोल लें

दो पल ही बोल लें **************** आओ !हम दो पल ही बोल लें! चुप्पी के बंधन को खोल लें !! समय तो है रेशम का धागा जो घिसता ही रहता अभागा उससे हम गठबंधन तोड़ लें ! हम तुम तो लहरों की जात हैं सरिता के मन की सौगात हैं...

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बोलो अब

बोलो अब ********** एक साँस ठण्डी है एक गरम बोलो अब क्या करें हम ? एक तरफ सूरज है चाँद एक ओर आसपास बेईमान बीच बडे़ चोर पहले पर रिश्वतिया समय बेशरम बोलो अब क्या करें हम ? ? प्रहलाद जल रहा होलिका प्रसन्न अमृत घट फोड़ रहे जहरीले यत्न...

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घर -घर तुम बिखराओ फूल

घर -घर तुम बिखराओ फूल ********************** हर समय खिले-से रहते जो पथ पर वे बिखराते फूल पल पल में रोते रहते जो पथ पर वे बरसाते शूल नहीं कहीं कड़वाहट घोलो नहीं कहीं छितराओ धूल घर घर नेह -गंध बरसाओ घर घर तुम बिखराओ फूल । (श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी...

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मुक्तक

मुक्तक ****** जो सहज ही चल पडे़ वह रीत है । जो अधर पर मौन है वह प्रीत है ।। चपल बालक- सा उठे जो चौंककर — समझ लो बस वह मचलता गीत है ।। ********************* जीवन को घूंट दो घूंट ही पी लेने दो । इन उखडी़ साँसों को...