Category: देखा बिना नाम के तुम्हे
गालियाँ जब भी ************** गालियाँ जब भी भूगोल की सरहदें पार करतीं पहले पहल इतिहास ही घायल होता हर बार झुलसता उसका ही चेहरा । राजनीति के फरेब रचती गालियाँ जब लोगों के दिलों में उतरतीं तो पहले पहल दंगों का नंगापन लिये षड्यंत्र करने लगता अँधेरा। और रोशनी की...
बहती रही नदियाँ **************** देखते रहे नीची नजरों से शिखर घूरती रहीं निकृष्ट निगाहों से घाटियाँ किन्तु इनकी परवाह किये बगैर पहाड़ की नसों से होकर बहती रही नदियाँ । पढ़ती रहीं जोर -जोर से अपने तटों की जन्मकुण्डली जिन्हें सुनते वनस्पतियों संग खिलखिलाते रहे संगम तक कछार और पहाड़...