Category: डूबकर भी नहीं डूबा हरसूद
डूबकर डूबा नहीं हरसूद गाँव के गाँव जाने कितनी -कितनी बार उजाडे़ जाते रहे राज -लिप्सा में मनाये जाते रहे तानाशाहों द्वारा हत्या के जश्न बार -बार यह भी हुआ कि तबाह होती रही प्रकृति और दूषित होता रहा पर्यावरण बार- बार चाहे वह बम विस्फोट हो या गैस रिसन...
डूबकर डूबा नहीं हरसूद गाँव के गाँव जाने कितनी -कितनी बार उजाडे़ जाते रहे राज -लिप्सा में मनाये जाते रहे तानाशाहों द्वारा हत्या के जश्न बार -बार यह भी हुआ कि तबाह होती रही प्रकृति और दूषित होता रहा पर्यावरण बार- बार चाहे वह बम विस्फोट हो या गैस रिसन...
डूबकर डूबा नहीं हरसूद गाँव के गाँव जाने कितनी -कितनी बार उजाडे़ जाते रहे राज -लिप्सा में मनाये जाते रहे तानाशाहों द्वारा हत्या के जश्न बार -बार यह भी हुआ कि तबाह होती रही प्रकृति और दूषित होता रहा पर्यावरण बार- बार चाहे वह बम विस्फोट हो या गैस रिसन...
डूबकर डूबा नही हरसूद ******************** (लम्बी कविता का अंश ) इसी नर्मदा की पावन देही की शल्य क्रिया कर वास्तुविदों संग तुमने ऊँचा बाँँध बनाया और छीन ली रेवा उन आदि निवासी वनचर वनवासी समाज से जो मेहनत कर रेवा के बल पर जीते थे उन्हें भिखारी बना दिया युग...
डूब कर डूबा नहीं हरसूद ********************* (कविता का अंश ) देख रही सरकार व्यवस्था की नजरों से इन सारे दृश्यों को और घडियाली आँसू की स्याही से पुनर्वास के पट्टों पर आश्वासन लिखती छपवाती इसी स्याही से पुनर्वास के झूठे विज्ञापन और बड़बोले भाषणों की झडी़ लगाये सुख सपनों के...