Category: कविता

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इच्छा शक्ति

इच्छा शक्ति—————-वे जिस चीज कोभी देखतेवही बनना चाहतेजबकिपेड़ के पास पहुँचकरपेड़नदी के पास पहुँचकरनदीखेत के पास पहुँचकरफसलचिड़िया के पास पहुँचकरचिड़ियाऔर आदमी के पास पहुँचकरआदमी नहीं बन सकेवे कुछ भी नहींबन सकेकुछ भी बनने की इच्छा शक्तिउनके पास कभी रही ही नहीं।(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह “मँँजती धुलती पतीली...

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खरा होने के वास्ते – “मँजती धुलती पतीली”

खरा होने के वास्ते (“मँजती धुलती पतीली“) ~~~~~~~~~~~~ जब आपसी संवाद से ज्यादा गप्पों में कटने लगे दिन तो समझ लो — ठहराव का एक पहाड़ खड़ा होने लगा है अकर्मण्यता की पन्नियाँ और यह भी स्वीकार लो कि — किसी भी क्षण से लाश की तरह निष्प्राण हो सकती...