बौराया प्यार दो

बौराया प्यार दो
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बासंती बेला में बौराया प्यार दो –।
चाहे दो पल को ही मौसम का ज्वार दो ।।
रोक लो मुझे तनिक अमुवा की छाँव में
बुलबुल की बस्ती में कोयल के गाँव में
मौसम से मेरा तन -मन सिंगार दो ।
बोर दो मुझे तनिक बौराई गंध में
फूले पलाशों के रंगों के छंद में
दो घडी़ मन के सब आवरण उतार दो ।।
(श्री प्रेमशंकर रघुवंशी जी के गीत संग्रह “अँजुरी भर घाम ” से उद्धृत )