अकेलापन – अन्तस के निर्झर

अकेलापन -4
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अकेलापन :
अशोक होकर भी
शोक बोता है
विजयी होकर भी
पराजित कर्लिंग होता है ।
(श्री प्रेम शंकर रघुवंशी जी के कविता संग्रह ” अन्तस के निर्झर ” से उद्धृत )
आज की कविता में अकेलेपन की मनःस्थिति के अन्तर में समाए गम और मन के हार की परिस्थिति पर विमर्श है । कहावत है कि -मन के हारे हार है । मन के जीते जीत ।
यह एक मानव मन का संज्ञान है । यदि मन में उत्साह है । हौंसला है । साहस है । कामना है । आशा है । उम्मीद है । आस्था है । मन में जय के स्वप्न से भरे भाव हैं तो मनुष्य अकेला होकर भी एक नये बदलाव का बीज बो सकता है ।लेकिन मन में यह नकारात्मक भाव -विचार बैठ गया कि मुझे क्या करना अपन तो संसार में अकेले हैं ? तो यह भी सोचना चाहिए कि दुनिया के सभी बदलाव अकेले व्यक्ति के सकारात्मक विचार और भाव ही के कारण आये हैं ।मनुष्य अकेला पन जब अपने भीतर समेट कर भर लेता है तो वह घातक है ।अकेला पन में कोई शोक नहीं होता लेकिन यह शोकहीन होकर भी हर समय हर पल हर क्षण शोक (उत्साह हीन ) में डूबता – उतराता रहता है ।उसकी यह परास्त हुई मुद्रा ही उसकी मानसिकता का घिराव है ।अकेलेपन की मन:स्थिति से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को संघर्ष करना होता है ।इसमें से साफ साफ बच निकलना होता है ।कभी भी अकेला पन स्वभाव ,धारणा ,मानसिक स्तर ,अध्ययन की असमानता ,स्वाध्याय की संगति ,आर्थिक और सामाजिक स्तर में असमानता के कारण भी हो सकता है ।इसलिए जब भी मनुष्य को अकेलापन आ घेरता है तो उसे सबसे पहले अपने आप से संवाद और चेतना के तार झंकृत करना चाहिए ।अपने मन पर घिरते अकेलेपन की निस्सारता के भाव को झटकार देना चाहिए । संसार में प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशिष्टता होती है । हर मनुष्य का महत्व होता है अपने अस्तित्व को व्यर्थ और निरर्थक नहीं मानना चाहिए प्रत्येक व्यक्ति के सामाजिक सरोकार, कल्याण तथा मानव हित के विचार उसे सामाजिक प्राणी में तब्दील कर देता है ।देशभक्ति से प्रेरित हर शहीद विजयी भाव से मृत्यु का वरण कयता है ।यदि अकेलेपन की पराजित मानसिकता से घिर कर हर व्यक्ति निष्क्रिय हो जायेगा तो समाज निराश और उदास लोगों की भीड भर होकर रह जाएगा ।इसलिये सतत उत्साह और जीवंतता का भाव ही मनुष्य को अकेलेपन के गर्त से बाहर ला सकता है ।अकेलेपन का भाव संसार को तेरे -मेरे के बीच विभाजित कर देने से भी पाँव पसार लेता है ।संसार तो सभी का सभी के लिए और सबके लिए एक समान रुप से फैला हुआ है ।जो जैसे प्रयास करेगा वैसा उसे हासिल होगा ।अच्छे प्रयास ,अच्छी धारणा ,हमेशा एक बढिया संसार के दरवाजे खोले रखेंगे।
